नई दिल्ली मंगलवार 11 फरवरी 2020. दिल्ली विधानसभा चुनाव के रुझानों में आम आदमी पार्टी (आप) को स्पष्ट बहुमत मिलना तय लग रहा है। हालांकि, उसे 10 से ज्यादा सीटों का नुकसान हो रहा है। आप के हिस्से की ये सीटें भाजपा के खाते में जा रही हैं। भाजपा को पिछली बार 3 सीटें मिली थीं, वह इस बार 15 से 20 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। कांग्रेस पिछली बार की ही तरह इस बार भी शून्य पर है। 70 विधानसभा सीटों के लिए 8 फरवरी को 62.59% वोट डाले गए थे। दिल्ली में अभी आप की सरकार है। भाजपा 22 साल और कांग्रेस 7 साल से सत्ता से दूर है।
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 10 सीटें ऐसी हैं, जिन पर सबकी नजर है। 2015 में इन 10 में से आम आदमी पार्टी ने 9 सीटें जीती थीं। रोहिणी सीट पर भाजपा के विजेंद्र गुप्ता जीते थे। फिलहाल रुझानों में नई दिल्ली सीट से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पटपड़गंज सीट पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आगे चल रहे हैं। आप से कांग्रेस में आईं अलका लांबा चांदनी चौक सीट पर पीछे चल रही हैं।
नई दिल्ली
पिछले 22 साल से यहां से जीता विधायक ही दिल्ली का मुख्यमंत्री बन रहा है। 1998 से 2013 तक कांग्रेस की शीला दीक्षित यहां से विधायक और राज्य की सीएम रहीं। 2013 से अरविंद केजरीवाल यहां से जीत रहे हैं। इस बार केजरीवाल का मुकाबला भाजपा के सुनील यादव से है।
पटपड़गंज
यह उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सीट है। सिसोदिया के सामने भाजपा ने रवि नेगी तो कांग्रेस ने लक्ष्मण रावत को उतारा है। 2015 में सिसोदिया ने आप के पूर्व विधायक और भाजपा उम्मीदवार विनोद कुमार बिन्नी को 28 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। सिसोदिया दिल्ली सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री हैं। आप जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा काम करने का दावा करती है, उनमें शिक्षा प्रमुख है। ये विभाग सिसोदिया के ही पास है।
चांदनी चौक
यहां कांग्रेस की अलका लांबा पीछे चल रही हैं। 2015 में आप की अलका लांबा ने चार बार के विधायक प्रह्लाद सिंह को हराया था। इस बार अलका कांग्रेस उम्मीदवार हैं। पिछली बार तीसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के प्रह्लाद सिंह इस बार आप के टिकट पर मैदान में हैं।
मॉडल टाउन
भाजपा के कपिल मिश्रा फिलहाल पीछे चल रहे हैं। मिश्रा 2015 में करावल नगर से आप के टिकट पर जीते। केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे। विवादित तरीके से कैबिनेट से बाहर किए जाने के बाद आप विधायक रहते हुए लगातार अपनी सरकार पर हमलावर रहे।
द्वारका
लाल बहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री पीछे चल रहे हैं। आदर्श 2015 में आप के टिकट पर यहां से जीते थे। उन्होंने चार बार के विधायक कांग्रेस के महाबल मिश्रा को हराया था। इस बार मिश्रा के बेटे विनय आप के उम्मीदवार हैं। भाजपा ने एक बार फिर द्वारका से दो बार विधायक रहे प्रद्युम्न राजपूत को उतारा है।
बल्लीमारान
कांग्रेस के हारून यूसुफ पीछे चल रहे हैं। यूसुफ 1993 से 2013 तक लगातार 5 बार यहां से विधायक रहे। शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे। 2015 में उन्हें आप के इमरान हुसैन से हराया था। इस फिर दोनों आमने-सामने हैं।
रोहिणी
यहां भाजपा के विजेंद्र गुप्ता आगे चल रहे हैं। 2015 में जब भाजपा को सिर्फ 3 सीटें मिली थीं, इनमें रोहिणी सीट भी थी। गुप्ता 2013 में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़े थे। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। आप ने 2013 में यहां जीते राजेश बंसीवाला को एक बार फिर मैदान में उतारा है।
ओखला
यहां से आप के अमानतुल्ला खान आगे चल रहे हैं। ओखला विधानसभा सीट में ही शाहीन बाग इलाका आता है। पूरे चुनाव के दौरान भाजपा और उसके नेता शाहीन बाग का मुद्दा उठाते रहे। इस विधानसभा में करीब 43% मुस्लिम मतदाता हैं। दिल्ली की तीन विधासभा सीटें जहां 40% से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं उनमें ओखला के अलावा सीलमपुर और मटियामहल शामिल हैं।
गांधी नगर
यहां से कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली पीछे चल रहे हैं। वे शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे थे। यहां से चार बार विधायक रहे लवली 2017 में भाजपा में चले गए थे। 2018 में उनकी कांग्रेस में दोबारा वापसी हुई। 2015 में उन्हें आप के अनिल कुमार वाजपेयी ने हराया था। इस बार वाजपेयी भाजपा के टिकट से उनके सामने हैं। आप ने यहां नवीन चौधरी को टिकट दिया है।
राजिंदर नगर
यहां से आप के राघव चड्ढा आगे चल रहे हैं। आप ने 2019 लोकसभा चुनाव के 3 तीन उम्मीदवारों को इस बार विधानसभा चुनाव में भी उतारा है। इनमें राजिंदर नगर से राघव चड्ढा मैदान में हैं तो कालकाजी से आतिशी मारलेना उम्मीदवार हैं। तिमारपुर से दिलीप पांडेय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 2015 में राजिंदर नगर सीट से आप के विजेंद्र गर्ग जीते थे।
सरकार की रिव्यू याचिका खारिज, हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, एसआईटी सारे दस्तावेज आयकर विभाग को सौंपे; ज्यादा काम हो तो सीबीआई को दे देते हैं केस
इंदौर/भोपाल . हनी ट्रैप मामले की जांच कर रही एसआईटी को अब केस से जुड़े सारे दस्तावेज आयकर विभाग को सौंपने होंगे। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मामले की जांच कर रही एसआईटी की वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उसने आयकर विभाग को केवल लेन-देन से जुड़े दस्तावेज ही दिए जाने की बात कही थी। हाईकोर्ट पिछली सुनवाई में ही आदेश कर चुका है कि आयकर को 10 दिन में दस्तावेज सौंपे जाएं।
सोमवार को इस याचिका पर जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। एसआईटी की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता पेश हुए और आग्रह किया कि आयकर विभाग आर्थिक मामलों की जांच करता है, लिहाजा उन्हें लेनदेन से जुड़े दस्तावेज देना ही उचित होगा। कोर्ट ने इस बात पर तल्खी दिखाई और कहा कि एसआईटी के पास ज्यादा काम हो तो ये केस सीबीआई को सौंप देते हैं। आपने समय सीमा में दस्तावेज क्यों नहीं दिए? इसके बाद कोर्ट ने मौखिक रूप से दस्तावेज देने का आदेश कर दिया।
आयकर विभाग क्यों चाहता है सारे दस्तावेज
पता करना है... पैसों का लेन-देन क्यों, कैसे और किसने किया...
आयकर विभाग का कहना है कि उसे यह जानना है कि आखिर क्या ऐसी परिस्थितियां थीं, जिसके कारण इतने बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन हुआ। वित्तीय लेन-देन के अतिरिक्त हनी ट्रेप में सरकारी ठेके और प्रॉपर्टी तक दी गई थी। इन ठेकों का मूल्यांकन कितना था। यह किस दबाव में दिए गए।
मध्यस्थ कौन, जिन्होंने सरकारी ठेके, प्रॉपर्टी और पैसा दिलाया
केस में अब तक पैसा देने वाले प्रभावशाली लोगों और पैसा लेने वाली महिलाओं के नाम सामने आए हैं। विभाग को अंदेशा है कि इस पूरे मामले में कई बड़े मध्यस्थ थे, जिनके माध्यम से बड़े-बड़े लेन-देन हुए। इसके एवज में उन्हें पैसा, प्रॉपर्टी और सरकारी ठेके मिले।
अब तक दस्तावेज सौंपे... आयकर विभाग को अभी एसआईटी ने केवल जब्त नकदी-ज्वेलरी, बैंक स्टेटमेंट्स और पैसों के लेनदेन वाले दस्तावेज ही सौंपे हैं।
असर...केंद्रीय एजेंसी जुड़ी मामले से, वह भी करेगी पड़ताल...आयकर विभाग को दस्तावेज मिलने से केंद्रीय एजेंसी भी इसकी जांच में शामिल हो जाएगी। अब तक की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार इस मामले में कुछ राजनीतिक लोगों की भूमिका भी है। आरोपी महिलाओं के भाजपा-कांग्रेस के कई नेताओं से नजदीकी सामने आ चुकी है।
विकल्प... सुप्रीम कोर्ट जा सकती है एसआईटी.. विधिक जानकारों का कहना है कि आयकर विभाग को दस्तावेज देने से इस मामले में जांच की परतें नए सिरे से खुल सकती हैं। अब एसआईटी के पास सुप्रीम कोर्ट विकल्प है, अगर वह चाहे तो हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ वहां अपील कर सकती है।
निगम इंजीनियर की शिकायत पर हुआ था हनी ट्रैप का खुलासा
इंदौर, भोपाल के कई अफसरों को फंसाकर उनके वीडियो बनाने और फिर ब्लैकमेल करने के इस हनी ट्रैप कांड का खुलासा पिछले साल 18 सितंबर को इंदौर में नगर निगम इंजीनियर हरभजन सिंह के केस दर्ज करवाने के बाद हुआ था। सिंह ने भोपाल की श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन, आरती दयाल, बरखा भटनागर के खिलाफ ब्लैकमेल करने और रुपए वसूलने की शिकायत की थी। जब इन्हें गिरफ्तार किया तो पता चला कि इस तरह से वे कई अफसरों को उलझाकर उनसे रुपए वसूल चुकी हैं। इतना ही नहीं, इसी हथकंडे से उन्होंने सरकारी ठेके भी हासिल किए। इसी कड़ी में आगे फरार इनामी जीतू सोनी का नाम जुड़ा, जिसने इन वीडियो के आधार पर कई लोगों को धमकाया था।