रद्दी में नवाब के लेटरहेड, विशेषज्ञ बोले- इस पर तो कोई भी हमीदिया की प्रॉपर्टी अपने नाम लिखवा ले


भोपाल शुक्रवार 21 फरवरी 2020. एमपी नगर इलाके में क्राइम ब्रांच द्वारा मंगलवार को पकड़े गए ट्रक में जो ऐतिहासिक दस्तावेज मिले हैं, वे बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह बात पुरातत्वविदो्ं द्वारा की गई जांच में सामने आई है। क्राइम ब्रांच की गुजारिश पर गुरुवार को जब पुरातत्वविद् और इतिहास के जानकार पहुंचे तो ब्रिटिश और नवाबी शासन काल से जुड़े दस्तावेज व अन्य सामग्री की पड़ताल की। इसी दौरान उन्हें 20 से ज्यादा कोरे लेटरहेड ऐसे मिले हैं, जो नवाब हमीदुल्ला खां के थे।


भोपाल स्टेट के मोनोग्राम लगे इन लेटरहेड पर जैसे ही पुरातत्वविद् मिर्जा मुमताज बेग की नजर पड़ी तो वे हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि देखिए डीएसपी साहब, इस पर चाहे तो कोई भी हमीदिया रोड की प्रॉपर्टी अपने नाम लिखवा ले...। पुलिस भी इन लाखों दस्तावेजों में ऐसे ही बेशकीमती कागज तलाश रही थी। उन्हें शक था कि ऐसे ही दस्तावेजों का इस्तेमाल कर भोपाल की कई जमीनों पर अपना हक जताने की शिकायतों की पुलिस भी जांच कर रही है।


एएसपी निश्चल झारिया का कहना है कि इन लेटरहेड का दुरुपयोग संभव है। कोई चाहे तो इस पर कुछ भी लिखवाकर अपना दावा पेश कर सकता है। पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट हमें देर शाम मिल गई है। विभाग ने कुछ दस्तावेज के महत्व को समझते हुए उन्हें ऐतिहासिक माना है। इस पर डीपीओ से अभिमत लिया गया है। इसके बाद ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


चांसलर बनने पर मिली थी नवाब साहब को बधाई 


बेग के मुताबिक कुछ ऐतिहासिक महत्व की अप्रकाशित किताबों की हस्तलिखित प्रति भी मिली हैं। इसमें भोपाल से जुड़ी विभिन्न बातों का उल्लेख है। कस्तूरबा गांधी के निधन पर नवाब साहब द्वारा शोक व्यक्त करने के पत्र की ऑफिस कॉपी के साथ-साथ विभिन्न रजवाड़ों के शासकों द्वारा चैम्बर ऑफ प्रिंसेज के चांसलर बनने पर नवाब हमीदुल्ला को भेजे बधाई संदेश भी शामिल हैं।


1858 की फाइलें भी मिलीं
इन दस्तावेजों में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से जुड़े कुछ कागज हैं तो पॉलिटिकल डिपार्टमेंट के पत्राचार की एक सीरिज भी है। यह कई वर्षों से गायब थी। भोपाल रियासत पर शोध करने वाले शोधार्थियों को इसकी तलाश थी। भोपाल रियासत की 1858, 1885 एवं 1912 के राजनीतिक, प्रशासनिक, सैन्य प्रबंध से जुड़ी कई फाइलें भी हाथ लगी हैं।


1928 में 5 ली. पेट्रोल 1.11 रु. में 
लंदन की एक कंपनी से 1928 में शुगर मिल खोलने के पत्राचार के भी कागज मिले हैं। इसमें कहा गया है कि मिल खोलने के लिए 3000 एकड़ भूमि की जरूरत होगी। इसके अलावा कोयला भी भोपाल रियासत को उपलब्ध कराना होगा। वहीं, एक दस्तावेज में उल्लेख है कि वर्ष 1928 में भोपाल में पेट्रोल 1 रुपए 11 पैसे में 5 लीटर मिलता था।


नवाब के तीन कोट भी


नवाब हमीदुल्ला 1945 में जब एयर चीफ मार्शल बने थे, उस कालखंड के तीन कोट मिले हैं। इनमें भोपाल रियासत, भोपाल वायुसेना के चिन्ह वाले बटन आदि लगे हैं। ये सामग्री भोपाल के नवाब परिवार की फातिमा सुल्तान से अहमदाबाद के भाविक बारोट और विपुल मेहता एक लाख रुपए में खरीदी थी।
 


एंटीक्विटीज एक्ट


परीक्षण के बाद मिली रिपोर्ट के आधार पर पुलिस एंटीक्विटीज एक्ट के तहत कार्रवाई करेगी। बेग की मानें तो बिना लाइसेंस और सक्षम प्राधिकारी से अनुमति के बिना ऐसे दस्तावेज बेचना-खरीदना अपराध की श्रेणी में आता है।