जदयू से निकाले जाने के 20 दिन बाद प्रशांत बोले- नीतीश से वैचारिक मतभेद, गांधी को मानने वाले गोडसे समर्थकों के साथ खड़े नहीं हो सकते


पटना मंगलवार 18 फरवरी 2020। . जदयू से 29 जनवरी को निकाले जाने के बाद चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) पहली बार मंगलवार को पटना पहुंचे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर खुलकर निशाना साधा। पीके ने कहा- नीतीश से वैचारिक मतभेद हैं। गांधी को मानने वाले कभी गोडसे समर्थकों के साथ खड़े नहीं हो सकते हैं। पिछले डेढ़ साल से हर प्लेटफॉर्म पर कहता रहा हूं कि मैं ऐसे यंग लोगों को जोड़ना चाहता हूं जो बिहार को आगे ले जाएं। इसके लिए 20 तारीख से 'बात बिहार की' कार्यक्रम शुरू करूंगा। इसके तहत बिहार के 8 हजार से ज्यादा गांवों से लोगों को चुना जाएगा, जो यह सोचते हों कि अगले 10 साल में बिहार अग्रणी 10 राज्यों में शामिल हो।


पीके ने कहा- नीतीश ने उन्हें बेटे की तरह रखा है और वे भी उन्हें पिता तुल्य मानते हैं। इसलिए, पार्टी से निकालने समेत नीतीश के सारे फैसले उन्हें मंजूर हैं। नीतीश के साथ उनके मतभेद विचारधारा को लेकर हैं।


नीतीश से मतभेद के 2 कारण 
पहला: पीके ने कहा कि नीतीश जी कहते रहे हैं कि वे गांधी, जेपी और लोहिया की बातें नहीं छोड़ सकते। क्या ऐसे में वे गोडसे की विचारधारा वालों के साथ खड़े हो सकते हैं। भाजपा के साथ खड़े होना ठीक है, लेकिन गांधी और गोडसे की विचारधारा एक साथ नहीं चल सकती।


दूसरा: बिहार में जदयू की पोजिशनिंग को लेकर मतभेद हुए। भाजपा और जदयू का 15 साल से संबंध है। हम ऐसा नेता चाहते हैं जो किसी का पिछलग्गू न हो और स्वतंत्र विचार रखे। कुछ लोग कहते हैं कि बिहार के विकास के लिए मूल बातों पर समझौता करना पड़े, तो कोई गुरेज नहीं होना चाहिए। लेकिन, आपको देखना चाहिए कि क्या इस गठबंधन से बिहार का विकास हो रहा है।


प्रशांत किशोर बोले- नीतीश की पार्टी कहती है- हमने जो किया सही किया


‘नीतीश जी की पार्टी कहती है कि कभी बिहार में कुछ नहीं था, इसलिए हमने जो किया वह सही किया। लालू जी के समय से मुकाबला तो ठीक है, लेकिन आप दूसरे राज्यों के मुकाबले कहां खड़े हैं, यह भी बताएं। कभी सूरत से भी तो कोई व्यक्ति बिहार काम करने आए। यह तब होगा, जब गांव और पंचायत स्तर से आएं और 10 साल में बिहार को आगे देखना चाहें। अगर मुंबई पूरी रात खुली रह सकती है तो पटना क्यों नहीं?’
‘वे बिहार छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। चुनाव लड़ने की बात पर उन्होंने कहा- लड़ाना-जिताना मैं रोज करता हूं। 20 फरवरी से ‘बात बिहार की’ कार्यक्रम शुरू करूंगा। इसके तहत 8 हजार से ज्यादा गांवों से लोगों को चुना जाएगा, जो अगले 10 साल में बिहार को अग्रणी 10 राज्यों में शुमार करना चाहते हों। बिहार को वो चलाएगा, जिसके पास सपना हो। नीतीश कुमार इसमें शामिल होना चाहें, तो उनका स्वागत है।’
‘नीतीश जी के आने के बाद बिहार में बदलाव हुआ, लेकिन विकास की गति-मानक ऐसे नहीं रहे कि इसे बेहतर कहा जाए। नीतीश जी ने बच्चों को साइकिल बांटी, पोशाक बांटी, बच्चों को स्कूल तक पहुंचाया, लेकिन अच्छी शिक्षा नहीं दे पाए। एजुकेशन इंडेक्स में बिहार सबसे नीचे है। पिछले 10 साल में हर घर में बिजली पहुंची, लेकिन देश के 900 केवी के मुकाबले यहां हर परिवार को 202 केवी बिजली मिलती है।’
‘पीके ने आर्थिक विकास को लेकर भी नीतीश कुमार पर तंज कसा। उन्होंने कहा- 10-15 साल आपने आर्थिक तरक्की कराई, लेकिन यह वैसा ही है, जैसे कभी आपकी सैलरी 5000 थी, जो आज 20,000 हो गई। जीडीपी में पर कैपिटल इनकम के मामले में 2005 में बिहार 22वें स्थान पर था, आज भी वहीं है।’