भोपाल शुक्रवार 7 फरवरी 2020. . ‘बचपन में मेरा परिवार समाज के दबाव में आ गया था। मेरे बारे में जब सबको पता चला कि मैं ट्रांसजेंडर हूं तो समाज के लाेगाें ने घरवालाें पर कई तरह से दबाव बनाया। मेरी मां नहीं चाहतीं थीं कि मुझे किन्नराें की मंडली में भेजा जाए, लेकिन समाज के दबाव और पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कारण मुझे किन्नराें की मंडली में भेजा गया। मंडली में जाने के बाद भी मुझे संघर्ष करना पड़ा, बावजूद इसके मैंने पढ़ाई जारी रखी। स्वच्छता मिशन के तहत समाज व लाेगाें काे जागरूक करने का काम किया, इसके बाद नौकरी मिली।’
गुरुवार को बीएसएसएस कॉलेज में यह आपबीती सुनाई ट्रांसजेंडर संजना सिंह ने। वह कॉलेज के ह्यूमेनिटीज डिपार्टमेंट में की ओर से आयोजित सिम्पोजियम- ‘सोसायटी एक्सेप्टेंस ऑफ ट्रांसजेंडर’ विषय पर बोल रही थीं। इस सिम्पाेजियम का आयाेजन विभाग की डॉ. साधना सिंह बिसेन ने किया।
शासकीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय की प्राे. डाॅ. माधवी लता दुबे ने कहा- मैंने किन्नराें पर लिखी कई पुस्तकें पढ़ीं, जिनमें ट्रांसजेंडर से जुड़े कई भ्रम हैं, जैसे- ट्रांसजेंडर की मृत्यु के बाद उनकी शवयात्रा रात में निकालते हैं या मृत्यु के बाद उन्हें प्रताड़ित किया जाता है कि अगले जन्म में उन्हें ऐसा शरीर न मिले? इस पर संजना सिंह ने कहा- लोगों ने अपने हिसाब से धारणाएं बनाई हैं और भ्रम पाल रखे हैं। समाज ने हमें हमेशा अलग नजरिये से देखा और कभी अपने बीच या बराबरी का दर्जा नहीं दिया। लोगों ने अपने मुताबिक सोच बना ली। किन्नराें की मृत्यु से जुड़ी ऐसी बातों में सच नहीं है। समाज में शिक्षा के माध्यम से ही बदलाव लाया जा सकता है। आने वाले समय में किन्नर समुदाय के लोगों को बेहतर अवसर मिलेंगे।
लोग जागरूक हुए, लेकिन हर रहवासी को सोचना होगा
वर्तमान में न्याय विभाग में कार्यरत संजना सिंह राजपूत ने बताया- बचपन में जब तक लोगों को नहीं पता होता था, तब तक ठीक था। लेकिन कुदरत ने जैसा बनाया है उसे छुपा के नहीं रखा जा सकता। 16-17 साल की उम्र में मैंने परिवार छोड़ दिया था। लोग जागरूक हो रहे हैं लेकिन उसमें समाज के हर एक रहवासी को सोचना होगा।
एक किस्सा साझा करते हुए उन्होंने कहा- स्वच्छता अभियान के दौरान पहली बार गांव गए थे, वहां के लोग रिस्पॉंस नहीं देते थे और सोचते थे कि बधाई मांगने आ गए हैं और वहां से भाग जाते थे। ग्राम सचिव ने लोगों को समझाया तो उन्होंने साथ रहकर स्वच्छता के लिए जागरूक करने का काम किया।