शाहीन बाग से ग्राउंड रिपोर्ट / सीएए-एनआरसी के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन के 38 दिन पूरे; जज्बे में कमी नहीं, लोग शायरी-गीतों के जरिए विरोध जता रहे


नई दिल्ली बुधवार 22 जनवरी 2020. ''गुरूर को जलाएगी वो आग हूं, आकर देख मुझे, मैं शाहीन बाग हूं... जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां हैं? यहां हैं, यहां हैं, यहां हैं''। जब आप दिल्ली के शाहीन बाग में धरने की जगह पर जाएंगे, तो इसी तरह की शायरी लिखे पोस्टर जगह-जगह पाएंगे। शाहीन बाग वही जगह है, जहां पिछले 38 दिन से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है। यहां 15 दिसंबर से प्रदर्शन शुरू हुआ था, लेकिन एक भी दिन हिंसा नहीं हुई। प्रदर्शन पर बैठे लोगों में ज्यादातर महिलाएं हैं। बच्चे और बुजुर्ग भी यहां नजर आते हैं। हर धर्म के लोग यहां आकर लंगर लगाते हैं और प्रदर्शनकारियों को खाना खिलाते हैं। कोई अराजक तत्व नजर आता है तो लोग खुद ही उसे इलाके से बाहर कर देते हैं। यह भी एहतियात बरत रहे हैं कि कहीं कोई गलत बात किसी के मुंह से न निकले। भास्कर ने पिछले तीन दिनों में यहां सुबह, शाम और रात का पूरा माहौल देखा और जो देखा वो कुछ इस तरह है...


शाहीन बाग जसोला विहार मेट्रो स्टेशन के पास है। हमने यहां सुबह 9 बजे, दोपहर 2 बजे और रात 11 बजे जाकर जायजा लिया। आप जब भी मेट्रो स्टेशन से उतरेंगे तो कोई न कोई नारा लगाते मिल ही जाएगा। ये तीन लोगों का झुंड भी हो सकता है या फिर 100 से ज्यादा लोगों का समूह भी। झुंड युवा, बुजर्ग, महिला या बच्चे नजर आ सकते हैं। जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं, तिरंगों से सजी गलियों के सहारे आप आसानी से शाहीन बाग के उस हिस्से में पहुंच जाते हैं, जहां सीएए के खिलाफ प्रदर्शन जारी है।



कोई सीएए पर शायरी कर रहा तो किसी ने प्रधानमंत्री पर गाना रच दिया
धरना प्रदर्शन की जगह पर पहुंचते ही करीब 150 मीटर लंबाई का टेंट लगा मिला। यहां महिलाएं बैठी हुई हैं। यहीं एक छोटा-सा मंच है। यहां बारी-बारी से लोग अपनी बात रख रहे हैं। इस मंच पर पुरुष कम, महिलाएं और बच्चों का ज्यादा वर्चस्व है। यहां कोई सीएए और एनआरसी पर खुद की लिखी कविता या शायरी पढ़ रहा है तो किसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री अमित शाह पर पूरा गाना रच दिया है। मशहूर शायरों और आजादी की लड़ाई में गाए गए गीत और नारे भी मंच पर लगते रहते हैं। मंच पर सबसे ज्यादा सुनाई देने वाले चार शब्द हैं... मोदी जी, अमित शाह, सीएए और एनआरसी। टेंट के इर्द-गिर्द बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष खड़े रहते हैं। ये लोग मंच पर बोल रहे बच्चों या लोगों की बाते सुन रहे होते हैं और ताली बजाकर, गाकर या नारे लगाकर लगातार इनकी हौसला अफजाई भी करते रहते हैं।