पंचतत्व में विलीन हुए विधायक ऊंटवाल, दो किमी लंबी अंतिम यात्रा में हजारों लोग हुए शामिल


इंदौर/आलोट शुक्रवार 31 जनवरी 2020  . आगर विधायक और भाजपा के प्रदेश महामंत्री मनोहर ऊंटवाल शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। दोपहर में उनके निवास से निकली अंतिम यात्रा करीब दो किलोमीटर मुख्य मार्ग से होती हुई अनादिकल्पेश्वर मुक्तिधाम पहुंचीं। जहां गार्ड ऑफ ऑनर के बाद बेटे मनोज ऊंटवाल ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सहित कई विधायक, सांसद शामिल हुए। इसके पहले सुबह अंतिम दर्शन के लिए तिरंगे पर लिपटा पार्थिव शरीर उनके निवास हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी ग्राउंड पर रखा गया, जहां अपने चहेते नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करने हजारों की संख्या में लोग पहुंचे।



गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में ली अंतिम सांस
विधायक ऊंटवाल को लगातार सिर में दर्द होने के कारण परिजनाें ने 6 जनवरी को इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां ऑपरेशन के बाद भी उनकी हालत नहीं सुधरी ताे उन्हें एयर लिफ्ट कर गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हाेंने इलाज के दाैरान गुरुवार को अंतिम सांस ली। ऊंटवाल दाे बार अागर, दाे बार आलाेट से विधायक बने। वह 2014 में शाजापुर-देवास लाेकसभा से सांसद भी रहे। 54 वर्षीय ऊंटवाल मौजूदा विधानसभा में आगर सीट से विधायक थे। अंतिम यात्रा में विधायक माधव मारू, हिम्मत कोठारी, देवास सांसद महेंद्र सोलंकी, विधायक जगदीश देवड़ा, राजेन्द्र पांडेय, मनोज चावला, संघ के प्रभाकर केलकर, राजपाल सिंह सिसौदिया, बंसीलाल गुर्जर सहित कई नेता अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे। 


आरएसएस के नगर विस्तारक के रूप में आलोट पहुंचे थे
धार जिले के बदनावर में 19 जुलाई 1966 को जन्में ऊंटवाल वर्ष 1985-86 में आरएसएस नगर विस्तारक के रूप में आलोट आए थे। इसके बाद तो वे यहीं के होकर रह गए। आलोट से वर्ष 1998 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। 2005 में मप्र अनुसूचित जाति आयोग सदस्य बने। वर्ष 2008 में आलोट से ही दोबारा विधायक बने और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से करीबी रिश्तों की वजह से नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में राज्यमंत्री बने। 2013 में उन्होंने आगर विधानसभा से चुनाव लड़ा और तीसरी बार विधायक बने, लेकिन मई 2014 में सांसद बनने पर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। 2018 में चौथी बार वे आगर से ही चुनाव लड़े और विधायक बने। 


विधायक बनते ही आलोट आकर बस गए थे
पहली बार विधायक बनने के बाद वे बदनावर से पत्नी अनु ऊंटवाल के साथ आलोट आकर बस गए। इनके दो पुत्र मनोज, संतोष व एक बेटी पूजा है। तीनों की शादी और पढ़ाई उन्होंने आलोट रहते हुए ही पूरी करवाई। विधायक ऊंटवाल कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा तवज्जो देते थे। बल्कि उनके किसी काम के लिए वे आधी रात में उठ जाते थे।


तांगा चालक को की थी 10 हजार की मदद
ऊंटवाल के करीबी मित्रों में से एक केडी बैरागी बताते है कि सहज व सरल व्यक्तित्व के धनी ऊंटवाल की आलोट क्षेत्र में घर-घर तक पारिवारिक सदस्य की तरह पहचान थीं। एक बार एक गाड़ोलिया समाज के व्यक्ति ने आधी रात में घर पहुंचकर कहा कि रुपए का इंतजाम नहीं हुआ तो मेरी बेटी की शादी रुक जाएगी तो ऊंटवाल के यहां बेटे की शादी का आयोजन हाेने के बावजूद इन्होंने उसकी आर्थिक मदद की। एक तांगा चालक को दस हजार की मदद की। 


रात में पुलिसकर्मी से दिवाए थे ढाबा संचालक को रुपए
भाजपा नेता राकेश दायमा बताते है कि 2015 में जब वे सांसद थे जब एक कार्यकर्ता राजू मीणा के ढाबे पर पुलिसकर्मियों ने भोजन के बाद रुपए नहीं दिए और विवाद किया। रात 12.30 बजे राजू सांसद ऊंटवाल के घर पहुंचा और आपबीती सुनाई। उसी वक्त ऊंटवाल उसे साथ लेकर पुलिसकर्मी के पास पहुंचे और रुपए दिलाए तथा बाद में उसका यहां से ट्रांसफर करवा दिया।


ऊंटवाल के बारे में...


बदनावर के मिडिल स्कूल में छात्र संघ अध्यक्ष बनकर राजनैतिक सफर की शुरूआत की थी।
इंदौर से प्रकाशित समाचार पत्र में संवाददाता के रूप में भी लंबे समय तक काम किया।
1995 में बदनावर में पार्षद बने थे।
1998 में आलोट से भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़ा। विधायक बने।
2008 में आलोट से पुन: विधायक। शिवराज मंत्रिमंडल में नगरीय प्रशासन विभाग के राज्य मंत्री बने। अशोकनगर और बुरहानपुर के प्रभारी मंत्री भी रहे।
16 अगस्त 2013 को आगर जिले का गठन हुआ। नवंबर माह में विधानसभा चुनाव हुए। ऊंटवाल आगर से रिकाॅर्ड मतों से जीते।
2014 में लोकसभा चुनाव में देवास संसदीय सीट से मैदान में उतारे। पहली बार सांसद बने।
2018 में पुन: आगर से विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।