नई दिल्ली शुक्रवार 24 जनवरी 2020. ब्रिटेन की मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागरिकता संशोधन कानून के जरिए भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों की अनदेखी कर रहे हैं। वे लोकतंत्र को ऐसा नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसका असर भारत पर अगले कई दशकों तक रह सकता है। मौजूदा सरकार की नीतियों समीक्षा में मैगजीन ने कहा है कि मोदी सहिष्णु और बहुधर्मीय समाज वाले भारत को उग्र राष्ट्रवाद से भरा हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश में जुटे हैं।
मैगजीन के कवर का टाइटल- असहिष्णु भारत
द इकोनॉमिस्ट का यह संस्करण 25 जनवरी को बाजार में आएगा, लेकिन मैगजीन ने एक दिन पहले ही कवर ट्वीट किया, इसका टाइटल है- इनटॉलरेंट इंडिया यानी असहिष्णु भारत। मैगजीन में भाजपा के खिलाफ लेख का शीर्षक है- ‘‘नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बंटवारे को भड़का रहे हैं।’’ इसमें कहा गया है कि भारत के 20 करोड़ मुस्लिमों में डर है कि प्रधानमंत्री एक हिंदू राष्ट्र का निर्माण कर रहे हैं।
द इकोनॉमिस्ट ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) एनडीए सरकार के दशकों से चल रहे भड़काऊ कार्यक्रमों में सबसे जुनूनी कदम है। लेख में कहा गया है कि सरकार की नीतियों ने भले ही मोदी को चुनाव में जीत दिलाने में मदद की हो, लेकिन अब यही नीतियां देश के लिए राजनीतिक जहर साबित हो रही हैं। मैगजीन ने चेतावनी के अंदाज में कहा है कि मोदी की नागरिकता संशोधन कानून जैसी पहल भारत में खूनी संघर्ष करा सकती हैं।