अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीरियों में डिप्रेशन के मामले बढ़े, इंटरनेट पर पाबंदी बड़ी वजह


श्रीनगर सोमवार 27 जनवरी 2020. 'कई रातों से मैं सो नहीं पा रही हूं और दिन में भी बेचैनी रहती है। मैं अपने बेटे से मिलना चाहती हूं।' ये कहना है 55 साल की सारा का। सारा कश्मीर के शोपियां जिले में रहती हैं। उनके 18 साल के बेटे वसीम अहमद को 7 अगस्त की रात को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद से ही वसीम जेल में बंद है। वसीम के जेल जाने के बाद से ही सारा डिप्रेशन में हैं और खाना भी सही तरीके से नहीं खा पा रहीं हैं। सारा अकेली नहीं हैं, जिन्हें ऐसी परेशानी है। उनके घर से ही कुछ दूर फातिमा रहती हैं। उनका बेटा जाकिर हुसैन भी 22 दिसंबर से श्रीनगर की जेल में बंद है। वसीम और जाकिर दोनों को पुलिस ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट यानी पीएसए के तहत गिरफ्तार किया है। पीएसए जम्मू-कश्मीर में 1978 से लागू है और इस कानून के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 2 साल तक बिना ट्रायल के जेल में रखा जा सकता है।



5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिए गए थे। अनुच्छेद 370 हटने के बाद कई लोगों को न सिर्फ गिरफ्तार किया गया, बल्कि वहां इंटरनेट भी बंद कर दिया गया। कई तरह की पाबंदियां भी लगा दीं। इस वजह से पिछले तीन महीने में ही कश्मीरियों में डिप्रेशन के कम से कम 10% मामले बढ़ गए हैं। हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि पाबंदियों की वजह से लोग एक-दूसरे से न ही मिल पा रहे हैं और न ही बात कर पा रहे हैं, जिस वजह से उनमें अकेलापन बढ़ रहा है और वे डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।



वसीम इकलौता कमाने वाला था, उसके जाने से परिवार गरीबी में आ गया


7 अगस्त की रात को सारा के घर पर पुलिस आई और वसीम को पकड़कर ले गई। उसे पहले तो कश्मीर में ही रखा था लेकिन बाद में उसे उत्तर प्रदेश की अंबेडकर नगर जेल में बंद कर दिया गया। सारा हार्ट पेशेंट हैं और उन्हें डायबिटीज भी है। 18 साल का वसीम केबल टीवी ऑपरेटर का काम करता था और 4 लोगों के परिवार में इकलौता कमाने वाला था। उसके जेल जाने क बाद परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वे उत्तर प्रदेश जाकर उससे मिल सकें।